Class 12th Political Science (समकालीन विश्व राजनीति) Chapter – 6 अंतरराष्ट्रीय संगठन (International Organizations) Notes In Hindi NCERT Solutions
Textbook | NCERT |
Class | 12th |
Subject | Political Science (समकालीन विश्व राजनीति) |
Chapter | 6th |
Chapter Name | अंतरराष्ट्रीय संगठन (International Organizations) |
Category | Class 12th Political Science |
Medium | Hindi |
Source | LastDoubt.in |
NCERT Solutions Class 12th Political Science (समकालीन विश्व राजनीति) Chapter – 6 अंतरराष्ट्रीय संगठन (International Organizations) Notes In Hindi जिसमे हम, अंतरराष्ट्रीय संगठन, अंतरराष्ट्रीय संगठनों की आवश्यकता, मुख्य अंतर्राष्ट्रीय संगठन, सयुक्त राष्ट्र संघ UNO, सयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्य, संयुक्त राष्ट्र संघ के अंगों के नाम, सुरक्षा परिषद्, महासचिव, वीटो पॉवर, सुरक्षा परिषद् के स्थायी तथा अस्थायी सदस्यों में अंतर, भारत का संयुक्त राष्ट्र संघ में योगदान, संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रमुख एजेन्सियाँ, अर्न्तराष्ट्रीय मुद्रा कोष ( IMF ), हयूमन राइटस वॉच, आदि के बारे में पढ़ेंगे।
Class 12th Political Science (समकालीन विश्व राजनीति) Chapter – 6 अंतरराष्ट्रीय संगठन (International Organizations) Notes In Hindi NCERT Solutions
Chapter – 6
अंतरराष्ट्रीय संगठन
Notes
अंतरराष्ट्रीय संगठन :-अंतर्राष्ट्रीय संगठन अपने उद्देश्यों में व्यापक होते हैं । जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विवादों के समाधान तथा शांति व सुरक्षा स्थापित करने में व विभिन्न देशों के मध्य सौहार्दपूर्ण वातावरण का निर्माण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । |
अंतरराष्ट्रीय संगठनों की आवश्यकता :-कुछ समस्याएं ऐसी होती है । जिससे निपटना किसी एक देश के लिए आसान नही होता ऐसे में अंतरराष्ट्रीय संगठन मदद करता है । अंर्तराष्ट्रीय विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से समाधान निकलना । युद्धों की रोकथाम में सहायक । विश्व के आर्थिक विकास में सहायक । प्राकृतिक आपदा , महामारी से निपटना । अर्न्तराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना । वैश्विक तापवृद्धि से निपटना । |
मुख्य अंतर्राष्ट्रीय संगठन :-
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सयुक्त राष्ट्र संघ UNO :-
24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ UNO की स्थापना की गई । UNO लीग ऑफ नेशन्स का उत्तराधिकारी है । सयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना के समय संयुक्त राष्ट्र संघ में 51 सदस्य थे । भारत भी इसके संस्थापक सदस्यों में शामिल था । मई 2013 तक इसके सदस्यों की संख्या 193 हो गयी है । 193वाँ सदस्य दक्षिणी सूडान है । भारत इसका सदस्य 30 oct 1945 में हुआ । |
सयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्य :-
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संयुक्त राष्ट्र संघ के अंगों के नाम :-
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सुरक्षा परिषद् :-सयुक्त राष्ट्र संघ का सबसे शक्तिशाली अंग सुरक्षा परिषद् है इससे कुल 15 सदस्य है इसमें पांच स्थायी सदस्य ( अमेरिका , रूस , ब्रिटेन , फ्रांस और चीन ) तथा दस अस्थायी सदस्य है जो दो वर्षों की अवधि के लिए चुने जाते है । स्थायी सदस्यों को वीटो ( निषेधाधिकार ) की शक्ति प्राप्त है । शीत युद्ध के बाद से ही संयुक्त राष्ट्र में इसके ढाँचे एवं कार्य करने की प्रक्रिया दोनों में सुधार की मांग जोर पकड़ने लगी । सुरक्षा परिषद् में स्थायी व अस्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने पर बल दिया गया । इसके अतिरिक्त गरीबी , भूखमरी , बीमारी , आतंकवाद पर्यावरण मसले एवं मानवाधिकार आदि मुद्दो पर संयुक्त राष्ट्र की भूमिका को ओर अधिक सक्रिय बनाने पर बल दिया गया । |
महासचिव :-महासचिव संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रतिनिधि होता है । वर्तमान महासचिव का नाम एंटोनियो गुटेरेस ( पुर्तगाल ) है । |
वीटो पॉवर ( निषेधाधिकार ) :-वीटो संयुक्त राष्ट्र संघ के सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्य देशों को प्राप्त वह अधिकार है जिसके आधार पर कोई भी देश इसके फैसले के खिलाफ जाकर फैसले को रोक सकता है । सुरक्षा परिषद् में पांच स्थायी सदस्य और 10 अस्थायी सदस्य है । कुल 15 सदस्य है जिनमें प्रत्येक की वोट की मूल्य 1 है । 2006 तक वीटो पावर का उपयोग :-
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सुरक्षा परिषद् के स्थायी तथा अस्थायी सदस्यों में अंतर :-स्थायी सदस्य :-
अस्थायी सदस्य :-
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भारत का संयुक्त राष्ट्र संघ में योगदान :-भारत संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यक्रमों में अपना योगदान लगातार देता रहा है । चाहे वह शांति सुरक्षा का विषय हो , निःशस्त्रीकरण हो , दक्षिण कोरिया संकट हो , स्वेज नहर का मामला हो या इराक का कुवैत पर आक्रमण हो । इसके अतिरिक्त , मानवाधिकारों की रक्षा , उपनिवेशवाद व रंगभेद का विरोध तथा शैक्षणिक आर्थिक तथा सांस्कृतिक गतिविधियों में भी भारत की भूमिका बनी रहती है । |
संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता हासिल करने के लिए योग्यता :-
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संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रमुख एजेन्सियाँ :-1 ) विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO ) 2 ) संयुक्त राष्ट्र , शैक्षिक , सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठन ( UNESCO ) 3 ) संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ( UNICEF ) 4 ) संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ( UNDP ) 5 ) संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग ( UNHRC ) 6 ) संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग ( UNHCR ) 7 ) संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन ( UNCTAD ) |
संयुक्त राष्ट्र संघ को एक ध्रुवीय विश्व में अधिक प्रासंगिक बनाने के उपाय ।
आज एक ध्रुवीय विश्व व्यवस्था में जब अमेरिका का वर्चस्व पूरे विश्व पर हो चुका है तो ऐसे में संयुक्त राष्ट्र संघ भी अमेरिकी ताकत पर पूर्णरूप से अंकुश नहीं लगा सकता , क्योंकि अमेरिका का इसके बजट में योगदान अधिक है , इसके अतिरिक्त इसका मुख्यालय भी अमेरिकी भू – क्षेत्र पर स्थित है । परन्तु इसके बावजूद संयुक्त राष्ट्रसंघ वो मंच है जहाँ अमेरिका से शेष विश्व के देश वार्ता करके उसपर नियंत्रण रखने का प्रयास कर सकते है । |
अंर्तराष्ट्रीय संस्थाएँ व गैर सरकारी संगठन :-संयुक्त राष्ट्र संघ के अतिरिक्त कई अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाएँ एवं गैर सरकारी संगठन है जो निरन्तर अपने उद्देश्यों को पूर्ण करने में लगे है जैसे :- |
1 ) अर्न्तराष्ट्रीय मुद्रा कोष ( IMF )
उद्देश्य :- वैश्विक स्तर पर वित्त व्यवस्था की देख – रेख एवं वित्तीय तथा तकनीकी सहायता मुहैया कराना । |
2 ) विश्व बैंक ( WB )
उद्देश्य :- मानवीय विकास ( शिक्षा , स्वास्थ्य ) कृषि और ग्रामीण विकास , पर्यावरण सुरक्षा , आधारभूत ढाँचा तथा सुशासन के लिए काम करता है । |
3 ) विश्व व्यापार संगठन ( WTO )
उद्देशय :- यह अंर्तराष्ट्रीय संगठन वैश्विक व्यापार के नियमों को तय करता है । |
4 ) अंतर्राष्ट्रीय आण्विक उर्जा एजेन्सी ( IAEA )यह संगठन परमाणि वक उर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने और सैन्य उद्देश्यों में इसके इस्तेमाल को रोकने की कोशिश करता है । |
5 ) एमनेस्टी इंटरनेशनल : –
उद्देश्य :- यह एक स्वयंसेवी संगठन है । यह पूरे विश्व में मानवाधिकारों की रक्षा के लिए अभियान चलाता है । |
हयूमन राइटस वॉच : –
उद्देश्य :- यह स्वयंसेवी संगठन भी मानवाधिकारों की वकालत और उनसे संबंधित अनुसंधान करने वाला एक अंर्तराष्ट्रीय स्वयंसेवी संगठन है । |
अन्तर्राष्ट्रीय रेड क्रास सोसायटी : –यह सोसायटी युद्ध और आंतरिक हिंसा के सभी पीड़ितों की सहायता तथा सशस्त्र हिंसा पर रोक लगाने वाले नियमों को लागू करने का प्रयास करता है । |
ग्रीनपीस : –1971 के स्थापित ग्रीन पीस फाउण्डेशन विश्व समुदाय को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाने तथा पर्यावरण संरक्षण हेतु कानून बनाने के लिए दबाव डालने का कार्य करती है । |
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