Class 12th Political Science (समकालीन विश्व राजनीति) Chapter 4 सत्ता के वैकल्पिक केन्द्र (Alternative Centres of Power) Notes In Hindi NCERT Solutions
Textbook | NCERT |
Class | 12th |
Subject | Political Science (समकालीन विश्व राजनीति) |
Chapter | 4th |
Chapter Name | सत्ता के वैकल्पिक केन्द्र (Alternative Centres of Power) |
Category | Class 12th Political Science |
Medium | Hindi |
Source | LastDoubt.in |
Class 12th Political Science (समकालीन विश्व राजनीति) Chapter 4 सत्ता के वैकल्पिक केन्द्र (Alternative Centres of Power) Notes In Hindi NCERT Solutions जिसमे हम, सत्ता के वैकल्पिक केन्द्र, संगठन :- यूरोपीय संघ, आसियान, ब्रिक्स, दक्षेस, देश :- रूस, चीन, जापान, भारत, इजरायल जापान और दक्षिण कोरिया, क्षेत्रीय संगठन, यूरोपीय संघ, यूरोपीय संघ के गठन के उद्देश्य, ब्रिटेन और फ्रांस, यूरोपीय संघ का आर्थिक प्रभाव, यूरोपीय संघ का सैन्य का प्रभाव, यूरोपीय संघ की विशेषताएँ, यूरोपीय संघ को ताकतवर बनाने वाले कारक, आसियान के संस्थापक देश, आसियान और भारत, पूरब की ओर देखो नीति, ब्रिक्स के सम्मेलन, ब्रिक्स संगठन बनाने का उद्देश्य, आदि के बारे में पढ़ेंगे।
Class 12th Political Science (समकालीन विश्व राजनीति) Chapter 4 सत्ता के वैकल्पिक केन्द्र (Alternative Centres of Power) Notes In Hindi NCERT Solutions
Chapter – 3
सत्ता के वैकल्पिक केन्द्र
Notes
सत्ता के वैकल्पिक केन्द्र :-
1990 के दशक के शुरू में विश्व राजनीति में दो ध्रुवीय व्यवस्था के टूटने के बाद यह स्पष्ट हो गया कि राजनैतिक और आर्थिक सत्ता के वैकल्पिक केंद्र कुछ हद तक अमरीका के प्रभुत्व को सीमित करेंगे। सत्ता के उभरते हुए कुछ वैकल्पिक केन्द्रों पर एक नज़र डालेंगे और यह जाँचने की कोशिश करेंगे कि भविष्य में उनकी क्या भूमिका हो सकती है यूरोप में यूरोपीय संघ और एशिया में दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों के संगठन (आसियान) का उदय दमदार शक्ति के रूप में हुआ। यूरोपीय संघ और आसियान, दोनों ने ही अपने-अपने इलाके में चलने वाली ऐतिहासिक दुश्मनियों और कमजोरियों का क्षेत्रीय स्तर पर समाधान ढूंढ़ा। साथ ही इन्होंने अपने-अपने इलाकों में अधिक शांतिपूर्ण और सहकारी क्षेत्रीय व्यवस्था विकसित करने तथा इस क्षेत्र के देशों की अर्थव्यवस्थाओं का समूह बनाने की दिशा में भी काम किया। चीन के आर्थिक उभार ने विश्व राजनीति पर काफी नाटकीय प्रभाव डाला।रूस चीन जापान इजरायल भारत जापान दक्षिण कोरिया । संगठन :- यूरोपीय संघ, आसियान, ब्रिक्स, दक्षेस देश :- रूस, चीन, जापान, भारत, इजरायल जापान और दक्षिण कोरिया |
क्षेत्रीय संगठन :-
क्षेत्रीय संगठन प्रभुसत्ता सम्पन्न देशों के स्वैच्छिक समुदायों की एक संधि है, जो निश्चित क्षेत्र के भीतर हो तथा उन देशों का सम्मिलित हित हो जिनका प्रयोजन उस क्षेत्र के संबंध में आक्रामक कार्यवाही न हो संगठन :- यूरोपीय संघ, आसियान, ब्रिक्स, दक्षेस देश :- रूस, चीन, जापान, भारत, इजरायल जापान और दक्षिण कोरिया मार्शल योजना :- अमेरिका ने यूरोप की अर्थव्यवस्था के पुनर्गठन के लिए जबरदस्त मदद की इसे मार्शल योजना के नाम सेे जाना है। |
यूरोपीय संघ :-
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यूरोपीय संघ के गठन के उद्देश्य :-
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ब्रिटेन और फ्रांस (यूरोपीय संघ) :-
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यूरोपीय संघ का आर्थिक प्रभाव :-
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यूरोपीय संघ का सैन्य का प्रभाव :-
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यूरोपीय संघ की विशेषताएँ :-
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यूरोपीय संघ को ताकतवर बनाने वाले कारक :-
2005 में यह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी और इसका सकल घरेलू इसकी मुद्रा यूरो, अमरीकी डॉलर के प्रभुत्व के लिए खतरा बन गई है। विश्व व्यापार में इसकी हिस्सेदारी अमेरिका से तीन गुना ज्यादा है। इसकी आर्थिक शक्ति का प्रभाव यूरोप, एशिया और अफ्रीका के देशों पर है। यह विश्व व्यापार संगठन के अंदर एक महत्वपूर्ण समूह के रूप में कार्य करता है। इसका एक सदस्य देश फ्रांस सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है। इसके चलते यूरोपीय संघ अमरीका समेत सभी राष्ट्रों की नीतियों को प्रभावित करता है। यूरोपीय संघ का सदस्य देश फ्रांस परमाणु शक्ति सम्पन्न है। अधिराष्ट्रीय संगठन के तौर पर यूरोपीय संघ आर्थिक, राजनैतिक और सामाजिक मामलों में दखल देने में सक्षम है। |
यूरोपीय संघ की कमजोरियाँ :-
इसके सदस्य देशों की अपनी विदेश और रक्षा नीति खिलाफ भी होती हैं। जैसे-इराक पर हमले के मामले में | यूरोप के कुछ हिस्सों में यूरो मुद्रा को लागू करने का लक चाडन ने मास्ट्रिस्स संधि और सांझी यूरोपीय मद्रा यूरो को मानने का विरोध किया। यूरोपीय संघ के कई सदस्य देश अमरीकी गठबंधन में थे। ब्रिटेन यूरोपीय संघ से जून 2016 मे एक जनमत संग्रह के द्वारा अलग हो गया है। ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री मास्टर ने ब्रिटेन को यूरोपीय बाजार मे अलग रखा। |
यूरोपीय संघ के सदस्य देशों की वर्तमान में संख्या 27 है।
यूरोपीय संघ के पुराने सदस्य :- ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, आयरलैंड, इटली, लक्जमबर्ग, माल्टा, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्वीडन, स्पेन । यूरोपीय संघ के नए सदस्य :- एस्तोनिया, लातविया, लिथुआनिया, पोलैंड, चेक गणराज्य रोमानिया, स्लोवाकिया, हंगरी, क्रोशिया, बुल्गारिया, साइप्रस, स्लोवेनिया । |
आसियान का नाम (in English ) :- Association of Southeast Asian Nations
आसियान का नाम (in Hindi ) :- दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन स्थापना :- 1967 में पाँच देशों ने बैंकॉक घोषणा पर हस्ताक्षर करके ‘ आसियान’ की स्थापना की । संस्थापक देश :- ये देश थे इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस, सिंगापुर और थाईलैंड बाद में शामिल देश :- बाद के वर्षों में ब्रुनेई, दारुस्सलाम, वियतनाम, लाओस, म्यांमार और , कंबोडिया भी आसियान में शामिल हो गए तथा इसकी सदस्य संख्या दस हो गई । आसियान का झंडा :– आसियान के प्रतीक चिह्न में धान की दस बालियाँ दक्षिण – पूर्व एशिया के दस देशों को इंगित करती हैं जो आपस में मित्रता और एकता के धागे से बंधे हैं । वृत्त आसियान की एकता का प्रतीक है । आसियान के संस्थापक देश :- 1. इंडोनेशिया |
आसियान के उद्देश्य :-
आर्थिक विकास को तेज करना और उस के माध्यम से सांस्कृतिक और राजनीतिक विकास हासिल करना। संयुक्त राष्ट्र संघ के कायदो पर आधारित क्षेत्रीय शांति और स्थायित्व को बढ़ावा देना। |
आसियान के तीन स्तंभ :-
आसियान सुरक्षा समुदाय क्षेत्रीय विवादों को सैनिक टकराव तक न ले जाने की सहमति पर आधारित है आसियान आर्थिक समुदाय का उद्देश्य आसियान देशों का साझा बाजार और उत्पादन आधार तैयार करना तथा इस क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक विकास में मदद करना है। आसियान सामाजिक सांस्कृतिक समुदाय का उद्देश्य है कि आसियान देशों के बीच टकराव की जगह बातचीत और सहयोग को बढ़ावा दिया जाए । |
आसियान शैली :-
अनौपचारिक टकराव रहित और सहयोगात्मक मेल-मिलाव का नया उदाहरण पेश करके आसियान ने काफी यश कमाया है, इसलिए इसे आसियान शैली कहते हैं। |
आसियान की उपयोगिता या प्रासंगिकता : –
आसियान की मौजूदा आर्थिक शक्ति खासतौर से भारत और चीन जैसे तेजी से विकसित होने वाले एशियाई देशों के साथ व्यापार और निवेश के मामले में प्रदर्शित होती है आसियान ने निवेश, श्रम और सेवाओं के मामले में मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने पर भी ध्यान दिया है । अमरीका तथा चीन ने भी मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने में रूचि दिखाई है आसियान की असली ताकत अपने सदस्य देशों, सहभागी सदस्यों और बाकी गैर- क्षेत्रीय संगठनों के बीच निरंतर संवाद और परामर्श करने की नीति में है । यह एशिया का एकमात्र ऐसा संगठन है जो एशियाई देशों और विश्व शक्तियों को राजनैतिक और सुरक्षा कराता है । मामलों पर चर्चा के लिए मंच उपलब्ध कराता है। |
आसियान की उपयोगिता या प्रासंगिकता:-
1. आसियान की मौजूदा आर्थिक शक्ति तौर से भारत और चीन जैसे तेजी से विकसित होने वाले एशियाई देशों के साथ व्यापार और निवेश के मामले में प्रदर्शित होती है। 2. आसियान ने निवेश, श्रम और सेवाओं के मामले में मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने पर भी ध्यान दिया है। 3. अमेरिका तथा बीन ने भी मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने में दिखाई। 4. 1991 के बाद भारत ने ‘पूरम की ओर की नीति अपनाई है। 5. भारत आसियान के साथ भी मुक्त व्यापार संधि करने का प्रयास कर रही है। 6. हाल ही में भारतीय प्रधान सियान देशों की यात्रा की तथा विभिन्नों में सहयोग बढ़ाने पर समझौते किए। 7. भारत में आशियान के दो सदस्य देशों सिंगापुर और थाईलैंड के साथ मुक्त व्यापार का समझौता किया है। 8. आसियान की असली ताकत अपने सदस्य देश सहभागी सदस्यों और बाकी गैर-क्षेत्रीय संगठनों के बीच निरंतर संवाद और परामर्श करने की नीति में है। 9. यह एशिया का एकमात्र ऐसा संगठन है जो एशियाई देशों और विश्व शक्तियों को राजनैतिक और सुरक्षा मामलों पर चर्चा क लिए मंच उपलब्ध कराता है। |
◆ आसियान की उपलब्धियां :-
● नोट :-
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★ आसियान और भारत :-
1991 के बाद भारत ने ‘पूरब की ओर देखो’ की नीति अपनाई है । भारत ने आसियान के दो सदस्य देशों सिंगापुर और थाईलैंड के साथ मुक्त व्यापार का समझौता किया है। 2009 में भारत ने आसियान के साथ ‘ मुक्त व्यापार समझौता ‘ किया। जो 1 जनवरी 2010 से लागू हुआ। हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने आसियान देशों की यात्रा की तथा विभिन्न क्षेत्रों सहयोग बढ़ाने पर समझौते किए तथा ‘ पूर्व की ओर देखो ‘ नीति के स्थान पर पूर्वोत्तर कार्यनीति ‘ ( एक्ट ईस्ट पॉलिसी ) की संकल्पना प्रस्तुत की । 2018 इसी के अंतर्गत वर्ष 2018 के गणतंत्र दिवस समारोह में आसियान देशों के राष्ट्रध्यक्षों को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था । 2018 सिंगापुर में हुए 33 वां आसियान शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भाग लिया 2019 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बैंकाक में आयोजित आसियान शिखर सम्मेलन भी भाग लिया । 2020 17 वें आसियान – भारत शिखर सम्मेलन 12 नवंबर 2020 को VIRTUAL आयोजित किया गया। |
पूरब की ओर देखो नीति :- भारत ने 1991 से पूरब की ओर देखो नीति अपनायी इससे पूर्वी एशिया के देशों जैसे आसियान, चीन जापान और दक्षिण कोरिया से उसके आर्थिक संबंधों में बढ़ोतरी हुई। |
ब्रिक्स :-
5 देशों का समूह है जो विश्व की अग्रणी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए प्रयोग किया जाता है । ब्रिक्स की स्थापना 2006 में रूस में की गई । वर्ष 2009 में अपनी प्रथम बैठक में दक्षिण अफ्रीका के समावेश के बाद ब्रिक्, ब्रिक्स में परिवर्तित हो गया ब्रिक्स शब्द क्रमश :- ब्राजील, रूस, भारत चीन, दक्षिण अफ्रीका को संदर्भित करता है ।
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ब्रिक्स के सम्मेलन :-
ब्रिक्स का 11 वां सम्मेलन 2019 में ब्राजील में सम्पन्न हुआ, जिसकी अध्यक्षता ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो ने की । ब्रिक्स का 12 वां सम्मेलन 2020 में रूस में ऑनलाइन आयोजित हुआ। रूस ब्रिक्स का मेजबान और अध्यक्ष था 13 वां ब्रिक्स वार्षिक शिखर सम्मेलन 9 सितंबर 2021 को वर्चुअल माध्यम ये आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने की । इस सम्मेलन का विषय – निरतंरता, समेकन और आम सहमति हेतु ब्रिक्स के बीच सहयोग था। ‘Counter Terrorism Action Plan आतंकवाद को रोकने के लिए अपनाया गया । इस सम्मेलन में पहली बार डिजीटल हेल्थ की चर्चा की गई जिसमें तकनीक के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं को उपलब्ध कराना है वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा के मसलों पर आम सहमति से चर्चा हुई । पर्यावरण को संरक्षित करने हेतु भी चर्चा हुई । |
ब्रिक्स संगठन बनाने का उद्देश्य :-
वर्तमान में विश्व में उपस्थित लगभग सभी बड़े संगठनों जैसे कि वर्ल्ड बैंक या आईएमएफ पर अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों का प्रभाव है इसी वजह से एक ऐसे संगठन को बनाया गया जिसके द्वारा विश्व की उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाया जा सके और उनके बीच सहयोग स्थापित किया जा सके ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि भविष्य में यह सभी अर्थव्यवस्थाएं विकसित देशों को टक्कर दे सकती हैं और इसीलिए इनका साथ में आना बहुत जरूरी है। प्रत्येक राष्ट्र की आंतरिक नीतियों तथा परस्पर समानता में अहस्तक्षेप के अतिरिक्त इसके सदस्य देशों के मध्य सहयोग तथा पारस्परिक आर्थिक लाभ का वितरण करना है । विश्व राजनीति में, ब्रिक्स अंतराष्ट्रीय स्थिरता को बनाए रखने और वैश्विक आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने और बहुध्रुवीय दुनिया का एकजुट केन्द्र बनने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है । |
ब्रिक्स की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य :-
UNO की सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग को बढ़ावा देना व्यापार और जलवायु परिवर्तन संबंधी मुद्दों पर आपसी सहयोग करना आयात और निर्यात को सरल बनाना आपसी सहयोग द्वारा विकास की गति को तेज करना आपसी राजनीतिक सहयोग स्थापित करना एक दूसरे की सुरक्षा को सुनिश्चित करना साझा चुनौतियों का मिलजुल कर समाधान करने के प्रयास करना |
ब्रिक्स की विशेषताएं:-
ब्रिक्स देशों में विश्व की लगभग 40% जनसंख्या रहती है विश्व में सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले मुख्य दो देश भारत और चीन ब्रिक्स में शामिल है विश्व का क्षेत्रफल के हिसाब से सबसे बड़ा देश रूस ब्रिक्स का सदस्य है रूस को छोड़कर बाकी सभी देश विकासशील है। भारत तथा चीन उभरती हुई शक्ति के रूप आगे आ रहे हैं ऐसा अनुमान लगाया गया है कि 2030 तक यह समूह अमेरिका से भी आगे निकल जाएगा इसकी जीडीपी पूरे विश्व की लगभग 23% पूरे विश्व का लगभग 27% क्षेत्रफल इस संगठन के देशों के अंतर्गत आता है। |
रूस:-
रूस का शुरूआती दौर 1917 में बोल्शेविक क्रांति के बाद 15 गण राज्यों को मिलाकर सोवियत संघ का निर्माण किया गया रूस भी इन 15 गण राज्यों में से एक था इन 15 गण राज्यों में सबसे विशाल गणराज्य रूस था 1917 से लेकर 1991 तक रूस USSR का हिस्सा रहा 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस एक देश बना और इसे सोवियत संघ का उत्तराधिकारी बना दिया गया यानि जो भी अधिकार सोवियत संघ के पास थे वह सभी रूस को दे दिए गए जैसे कि परमाणु हथियार यूएनओ की सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता उन सभी संधियों का पालन रूस को करना था जो सोवियत संघ और अमेरिका के बीच की गई थी । |
रूस की भौगोलिक विशेषता :-
रूस उत्तरी एशिया का एक देश है। विश्व का सबसे बड़ा देश रूस है इसका कुछ हिस्सा एशिया महाद्वीप और कुछ ऐसा पूर्वी यूरोप के अंदर आता है आकार के अनुसार यह भारत से लगभग 5 गुना ज्यादा बढ़ा है जनसंख्या के हिसाब से रूस विश्व में सातवें नंबर पर आता है |
रूस की राजनीतिक विशेषताएं :-
रूस एक लोकतांत्रिक देश है रूस की राजधानी मॉस्को और इसकी राष्ट्रभाषा रूसी है यहां के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन है। यहां के प्रधानमंत्री मिखाइल मिशुस्टिन है यहां पर भी अन्य देशों की तरह ही सामान्य रूप से चुनाव होते हैं और नेताओं को चुना जाता है |
रूस की आर्थिक विशेषताएं :-
आकार के मामले में भले ही रूस एक बड़ा देश है पर आर्थिक विकास के मामले में रूस उन्नत नहीं है। जीडीपी के अनुसार रूस का वां स्थान है रूस के पास भरपूर मात्रा में खनिज संसाधन प्राकृतिक संसाधन और गैस के भंडार है। इन संसाधनों की वजह से ही रूस विश्व में एक मजबूत देश के रूप में स्थापित है पर अगर आर्थिक रूप से अमेरिका से तुलना की जाए तो रूस काफी पीछे रह जाता है। |
रूस की सैन्य विशेषताएं :-
हथियारों के मामले में रूस विश्व के सबसे शक्तिशाली देशों में से एक है परमाणु हथियार यूएनओ की सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता सैन्य क्षमता के मामले में विश्व में रूस का दूसरा स्थान है सैन्य क्षेत्र में रूस अमेरिका को बराबरी की टक्कर देता है |
रूस और भारत के सम्बन्ध :-
भारत तथा साम्यवादी देशों के सम्बन्ध शुरू से ही अच्छे रहे है। रूस शुरू से ही भारत की मदद करता आया है। दोनों का सपना बहुध्रुवीय विश्व का है। दोनों देश ही लोकतंत्र में विश्वास रखते है। 2001 में भारत और रूस के बीच 80 द्विपक्षीय समझौता भारत रूसी हथियारों का खरीददार भारत में रूस से तेल का आयात वैज्ञानिक योजनाओ में रूस की मदद कश्मीर मुद्दे पर रूस का भारत को समर्थन |
जापान :-
सोनी, पैनासोनिक, कैनन, सुजुकी, होंडा, ट्योटा और माज्दा जैसे प्रसिद्ध जापानी ब्रांडों के नाम आपने जरूर सुनें होंगे। उच्च प्रौद्योगिकी के उत्पाद बनाने के लिए इनके नाम मशहूर हैं। जापान के पास प्राकृतिक संसाधन कम हैं और वह ज्यादातर कच्चे माल का आयात करता है। इसके बावजूद दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जापान ने बड़ी तेजी से प्रगति की । जापान 1964 में आर्थिक सहयोग तथा विकास संगठन / ऑर्गनाइज़ेशन फॉर इकॉनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (OECD) का सदस्य बन गया। 2017 में जापान की अर्थव्यवस्था विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। एशिया के देशों में अकेला जापान ही समूह -7 के देशों में शामिल है। आबादी के लिहाज से विश्व में जापान का स्थान ग्यारहवाँ है। परमाणु बम की विभीषिका झेलने वाला एकमात्र देश जापान है। जापान संयुक्त राष्ट्रसंघ के बजट में 10 प्रतिशत का योगदान करता है। संयुक्त राष्ट्रसंघ के बजट में अंशदान करने के लिहाज से जापान दूसरा सबसे बड़ा देश है। 1951 से जापान का अमरीका के साथ सुरक्षा गठबंधन है। जापान के संविधान के अनुच्छेद 9 के अनुसार “राष्ट्र के संप्रभु अधिकार के रूप में युद्ध को तथा अंतर्राष्ट्रीय विवादों को सुलझाने में बल-प्रयोग अथवा धमकी से काम लेने के तरीके का जापान के लोग हमेशा के लिए त्याग करते हैं।” सैन्य का व्यय उसके सकल घरेलू उत्पाद का केवल । प्रतिशत है फिर भी सैन्य व्यय के जापान लिहाज से विश्व में जापान का स्थान सातवां है। इन तथ्यों को ध्यान में रखकर अनुमान लगाइए कि वैकल्पिक शक्ति केंद्र के रूप में जापान कितना प्रभावकारी होगा? |
दक्षिण कोरिया :-
कोरियाई प्रायद्वीप को द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में दक्षिण कोरिया (रिपब्लिक ऑफ कोरिया) और उत्तरी कोरिया (डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया) में 38वें समानांतर के साथ-साथ विभाजित किया गया था। 1950-53 के दौरान कोरियाई युद्ध और शीत युद्ध काल की गतिशीलता ने दोनों पक्षों के बीच प्रतिद्वंदिता को तेज कर दिया। अंतत: 17 सितंबर 1991 को दोनों कोरिया संयुक्त राष्ट्र के सदस्य बने । इसी बीच दक्षिण कोरिया एशिया में सत्ता के केंद्र के रूप में उभरा। 1960 के दशक से 1980 के दशक के बीच, इसका आर्थिक शक्ति के रूप में तेजी से विकास हुआ, जिसे “हान नदी पर चमत्कार” कहा जाता है। अपने सर्वांगीण विकास को संकेतित करते हुए, दक्षिण कोरिया 1996 में ओईसीडी का सदस्य बन गया। 2017 में इसकी अर्थव्यवस्था दुनिया में ग्यारहवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और सैन्य खर्च में इसका दसवां स्थान है। मानव विकास रिपोर्ट 2016 के अनुसार दक्षिण कोरिया का एचडीआई रैंक 18 है। इसके उच्च मानव विकास के लिए जिम्मेदार प्रमुख कारकों में “सफल भूमि सुधार, ग्रामीण विकास, व्यापक मानव संसाधन विकास, तीव्र न्यायसंगत आर्थिक वृद्धि” शामिल है। अन्य कारकों में निर्यात उन्मुखीकरण, मजबूत पुनर्वितरण नीतियाँ, सार्वजनिक अवसंरचना विकास, प्रभावी संस्थाएँ और शासन हैं। सैमसंग, एलजी और हुंडई जैसे दक्षिण कोरियाई ब्रांड भारत में प्रसिद्ध हो गए हैं। भारत और दक्षिण कोरिया के बीच कई समझौते उनके बढ़ते वाणिज्यिक और सांस्कृतिक संबंधों को दर्शाते हैं। |
माओ की नेतृत्व में चीन का विकास :-
1949 की क्रांति के द्वारा चीन में साम्यवादी शासन की स्थापना हुई। शुरू में यहाँ साम्यवादी अर्थव्यवस्था को अपनाया गया था। लेकिन इसके कारण चीन को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ा- 1. चीन ने समाजवादी मॉडल खड़ा करने के लिए विशाल औद्योगिक कारखा। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए अपने सारे संसाधनों को उद्योग में लगा दिया। 2. चीन अपने नागरिको को रोजगार स्वास्थ्य सुविधा और सामाजिक कल्याण योजनाओं का लाभ देने के मामले में विकसित देशों से भी आगे निकल गया लेकिन बढ़ती जनसंख्या विकास में बाधा उत्प्नन कर रही थी । 3. कृषि परम्परागत तरीकों पर आधारित होने के वहाँ केकीको पूरा नहीं कर पा रही थी। |
चीन में सुधारों की पहल:-
1. चीन ने 1972 में अमेरिका से संबंध बनाकर अपने राजनैतिक और आर्थिक एकांतवास को खत्म किया। 2. 1973 में प्रधानमंत्री चाऊ एन लाई ने कृषि प्रयोग सेवा औरौद्योगिकी के क्षेत्र में आधुनिकीकरण के चार प्रस्ताव रखे। 3. 1978 में तत्कालीन नेता चेंग पाओ ने चीन में आर्थिक सुधारों और खुलेकार की नीति का घोषणा की। 4. 1982 में खेती का निजीकरण किया गया 5, 1998 में उद्योगों का निजीकरण किया गया। इसके साथ ही चीन में विशेष आर्थिक क्षेत्र (स्पेशल जोन-517) स्थापित किए गए। 6. चीन 2001 में विश्व व्यापार संगठन में शामिल हो गया। इस तसा दूसरे देशों के लिए अपनी अर्थव्यवस्था खोलने की दिशा में चीन ने एक कदम और बढ़ाया है। |
चीनी सुधारों का नकारात्मक पहलू :-
1. वहाँ आर्थिक विकास का लाभ समाज के सभी सदस्यों को प्राप्त नहीं हुआ। 2. पूँजीवादी तरीकों को अपनाए जाने से बेरोजगारी बढ़ी है। 3. वहाँ महिलाओं के रोजगार और काम करने के हालात संतोषजनक नहीं है। 4. गाँव व शहर के और तटीय व मुख्य भूमि पर रहने वाले लोगों के बीच आप में अंतर बढ़ा है। 5. विकास की गतिविधियों ने चरण को काफी हानि पहुंचाई है। 6. चीन में प्रशासनिक और सामाजिक जीवन में है। |
चीन के साथ भारत के संबंध :-
विवाद के क्षेत्र :- 1. तिब्बत की समस्या :-1956 चीन द्वारा तिब्बत की हड़पने तथा भारत चीन सीमा पर बस्तियों बनाने के फैसले से दोनों देशों के संबंध एकदम बिगड़ गये। 2.सीमा विवाद :-मैक्मोहन रेखा उत्तर -पूर्व भारत -चीन सीमा का विभाजन करती है परन्तु चीन सरकार इसको स्वीकार नहीं करती और अक्साई चीन पर आधिपत्य बना हुआ है । 3. 1962 युद्ध :- चीन ने 1962 में लाख और अरुणाचल प्रदेश के नेफा क्षेत्र पर अपने दावे को जबरन स्थापित करने के लिए भारत पर आक्रमण किया। 4 . डोकलाम विवाद :-डोकलाम भूटान तथा चीन के बीच विवादित पठार क्षेत्र है 5. चीन द्वारा पाकिस्तान की मदद देना। चीन भारत के परमाणु परीक्षणों का विरोध करता है। 6. संयुक्त राष्ट्र संघ ने आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद पर प्रतिबंध लगाने वाले प्रस्ताव की पेश किया। चीन द्वारा वीटो प्रयोग करने से यह प्रस्ताव निरस्त हो गया। 7. भारत ने अजहर मसूद के आतंवादी घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रस्ताव पेश किया, जिस पर चीन ने वीटो पावर का प्रयोग किया 8. चीन की महत्वाकाक्षी योजना Ones Belt One Road, जो कि POK से होती हुई गुजरेगी उसे भारत को पैरने की रणनीति के तौर पर लिया जा रहा है। |
सहयोग का दौर (क्षेत्र):-
1. 1970 के दशक में चीनी नेतृत्व बदलने से अब वैचारिक मुद्दों की जगह व्यावहारिक मुद्दे प्रमुख हो रहे है। 2. 1988 में प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने चीन की यात्रा की जिसके बाद सीमा विवाद पर यथास्थिति बनाए रखने की पहल की गई। 3. दोनों देशों ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान, विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में परस्पर सहयोग और व्यापार के लिए सीमा पर चार पोस्ट खोलने हेतु समझौते किए गए है। 4. 1999 से द्विपक्षीय व्यापार 30 फीसदी सालाना की दर से बढ़ रहा है। 5. विदेशों में ऊर्जा सौदा हासिल करने के मामलों में भी दोनों देश सहयोग द्वारा हल निकालने पर राजी हुए है। 6. वैश्विक धरातल पर भारत और चीन ने विश्व व्यापार संगठन जैसे अन्य अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संगठनों के संबंध में एक जैसी नीतियाँ अपनायी है। |
इजराइल :-
विश्व मानचित्र में एक बिंदु के समकक्ष प्रतिबिंबित इजराइल, अर्थव्यवस्था के अतिरिक्त विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी, रक्षा तथा गुप्तचर मामलों में 21 वी शताब्दी के विश्व में एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उदित हुआ है पश्चिम एशियाई देशों की ज्वलंत राजनीति के मध्य स्थित, इजराइल अपनी अदस्य क्षमता, रक्षा कौशल, तकनीकी नवाचार, औद्योगिकीकरण तथा कृषि विकास के कारण वैश्विक राजनीतिक क्षेत्र में नई ऊंचाईयों पर पहुंच गया है। प्रतिकूलता के विरूद्ध निरंतरता के सिद्धांत से मार्गदर्शक एक सूक्ष्म यहूदी – सियोनवादी राष्ट्र अर्थात इजरायल सामान्य रूप से समकालीन वैश्विक राजनीति में तथा विशिष्ट रूप में अरब प्रभुत्वशील पश्चिम एशियाई राजनीति में एक विशिष्ट अरब प्रभुत्वशील पश्चिम एशियाई राजनीति में एक विशिष्ट भूमिका का निर्वहन करता है । |
इजराइल सत्ता का नया केंद्र बनकर उभरने के कारण : –
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भारत :-
21 वीं सदी में भारत को एक उदयीमान वैश्विक शक्ति ‘ के रूप में देखा जा रहा है । एक बहुआयामी दृष्टिकोण से विश्व भारत की शक्ति तथा उसके उदय का अनुभव कर रहा है । भारत की जनसंख्या लगभग 141 करोड़ है । भारत की आर्थिक सामाजिक तथा सांस्कृतिक स्थिति बहुत सुदृढ़ है आर्थिक परिप्रेक्ष्य ( भारत ) :- 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य, एक विशाल प्रतिनिधि व्यापार केन्द्र तथा संपूर्ण विश्व में 200 मिलियन भारतीय प्रवासियों के साथ भारत की प्राचीन समावेशी संस्कृति भारत को 21 वीं शताब्दी में शक्ति के एक नए केन्द्र के रूप में एक विशिष्ट अर्थ तथा महत्व प्रदान करती है । सामरिक दृष्टिकोण (भारत) :- भारत की सैन्य शक्ति, परमाणु तकनीक के साथ इसे आत्मनिर्भर बनाती है विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी ( भारत ) :- विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी में मेक इन इंडिया’ योजना भारतीय अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बना सकती है यहसभी परिवर्तन वर्तमान विश्व में भारत को शक्ति का एक महत्वपूर्ण केन्द्र बनाते हैं भारत की विदेश नीति
नरेन्द्र मोदी युग :-
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