NCERT Solutions Class 12th Sociology (भारतीय समाज) Chapter – 2 भारतीय समाज की जनसांख्यिकीय संरचना (The Demographic Structure of the Indian Society) Notes In Hindi
Textbook | NCERT |
class | 12th |
Subject | Sociology (भारतीय समाज) |
Chapter | 2st |
Chapter Name | भारतीय समाज की जनसांख्यिकीय संरचना (The Demographic Structure of the Indian Society) |
Category | Class 12th Sociology (भारतीय समाज) |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt.in |
NCERT Solutions Class 12th Sociology (भारतीय समाज) Chapter – 2 भारतीय समाज की जनसांख्यिकीय संरचना (The Demographic Structure of the Indian Society)
NCERT Solutions Class 12th Sociology (भारतीय समाज) Chapter – 2 भारतीय समाज की जनसांख्यिकीय संरचना (The Demographic Structure of the Indian Society) Notes In Hindi इस अध्याय में हम जनसांख्यिकी संरचना क्या है?, समाजशास्त्र में जनसांख्यिकी क्या है?, भारतीय समाज में जनसांख्यिकीय अध्ययन का क्या महत्व है?, भारतीय समाज की संरचना क्या है?, भारत में जनसांख्यिकी कब शुरू हुई थी?, जनसांख्यिकी के कितने प्रकार हैं?, भारत की जनसांख्यिकीय विशेषताएं क्या हैं?,जनसांख्यिकीय अध्ययन के जनक कौन थे?, विश्व में प्रथम जनगणना कब हुई थी?, भारत के जनगणना आयुक्त कौन है?, भारतीय जनगणना के जनक कौन है?, भारत में जनगणना कौन करवाता है?, जनांकिकी के दो चरण कौन से हैं?, जनगणना कितने वर्ष में की जाती है?, जनगणना दिवस कब मनाया जाता है?, भारत में सबसे ज्यादा कौन सी जाति के लोग हैं?, इत्यादि के बारे में पढ़ेंगे।
NCERT Solutions Class 12th Sociology (भारतीय समाज) Chapter – 2 भारतीय समाज की जनसांख्यिकीय संरचना (The Demographic Structure of the Indian Society)
Chapter – 2
भारतीय समाज की जनसांख्यिकीय संरचना
Notes
जनसांख्यिकी – जनसंख्या का सुव्यवस्थित अध्ययन जनांकिकी कहलाता है। इसका अंग्रेजी पर्याय डेमोग्राफी यूनानी भाषा के दो शब्दों डेमोस-लोग तथा ग्राफीन यानि वर्णन अर्थात् लोगों का वर्णन। इससे जन्म, मृत्यु, प्रवसन, लिंग अनुपात आदि का अध्ययन किया जाता है।
जनांकिकी के प्रकार – जनांकिकी मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है।
1. आकारिक जनसांख्यिकी
2. सामाजिक जनसांख्यिकी
आकारिक जनसांख्यिकी – इसमें जनसंख्या के आकार का अध्ययन किया जाता है।
सामाजिक जनसांख्यिकी – इसमें जनसंख्या के सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक पक्षों पर विचार किया जाता हैं।
जनसांख्यिकीय आंकड़े – जनसांख्यिकीय आंकड़े राज्य की नीतियाँ जैसे आर्थिक विकास, जलकल्याण संबंधी नीतियाँ बनाने व कार्यान्वित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
जनसंख्या वृद्धि का सिद्धान्त
थामस रोवर्ट माल्थस का जनसंख्या वृद्धि का सिद्धान्त (1766 – 1834) – जनसंख्या ज्योमेटिक अनुपात से बढ़ती है। जैसे 2, 4, 8, 16, 32 तथा खाद्य उत्पादक में वृद्धि गणितीय (समरंतर) रूप से होती है। जैसे- 2, 4, 6, 8, 10 इत्यादि। इससे जनसंख्या व खाद्य सामग्री में असंतुलन पैदा होता है। और समृद्धि बढ़ाने के लिए जनसंख्या वृद्धि को नियन्त्रित किया जाए।
जनसंख्या नियंत्रण के दो प्रकार – माल्थस ने जनसंख्या नियंत्रण के दो प्रकारों के प्रतिबंध का उल्लेख किया है।
प्राकृतिक निरोध / अवरोध – जैसे अकाल, भूकम्प, बाढ़, युद्ध बीमारी आदि।
कृतिम निरोध / अवरोध – जैसे बड़ी उम्र में विवाह, यौन संयम, ब्रह्मचार्य का पालन आदि।
माल्थस के सिद्धान्त विरोध – आर्थिक वृद्धि जनसंख्या वृद्धि से अधिक हो सकती है। जैसा कि यूरोप के देशों में हुआ है। गरीबी व भुखमरी जनसंख्या वृद्धि के बजाए आर्थिक संसाधनों के असमान वितरण के कारण फैलती है।
जनसांख्यिकी संक्रमण का सिद्धांत – जनसंख्या वृद्धि आर्थिक विकास के समग्र स्तरों से जुड़ी होती है। जनसंख्या वृद्धि के तीन बुनियादी चरण होते हैं।
पहला चरण – पहला चरण है समाज में जनसंख्या वृद्धि का कम होना क्योंकि समाज तकनीकी दृष्टि से पिछड़ा होता है। मृत्युदर और जन्मदर दोनों की बहुत ऊँची होती है।
दूसरा चरण – दूसरा चरण जनसंख्या विस्फोट संक्रमण अवधि में होता है, क्योंकि समाज पिछड़ी अवस्था से उन्नत अवस्था में जाता है, इस दौरान जनसंख्या वृद्धि की दरें बहुत ऊँची हो जाती है।
तीसरी चरण – तीसरी चरण में भी विकसित समाज में जनसंख्या वृद्धि दर नीची रहती है क्योंकि ऐसे समाज में मृत्यु दर और जन्म दर दोनों ही काफी कम हो जाती है।
जन्म दर – एक वर्ष में प्रति हजार व्यक्तियों पर जीवित जन्में बच्चों की संख्या जन्म दर कहलाती है।
मृत्यु दर – क्षेत्र विशेष में प्रति हजार व्यक्तियों में मृत व्यक्तियों की संख्या मृत्यु दर कहलाती है।
प्राकृतिक वृद्धि दर या जनसंख्या वृद्धि दर – जन्म दर व मृत्यु दर के बीच का अन्तर। जब यह अंतर शून्य या कम होता है तब हम यह कह सकते हैं कि जनसंख्या स्थिर हो गई है या प्रतिस्थापन स्तर पर पहुँच गई है।
प्रतिस्थापन स्तर – यह एक ऐसी अवस्था होती है जब जितने बूढ़े लोग मरते हैं उनका खाली स्थान भरने के लिए उतने ही नए बच्चे पैदा हो जाते है। भारत में केरल की कुल प्रजनन दरें वास्तव में प्रतिस्थापन स्तर से नीचे है। हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, महाराष्ट्र की प्रजनन दरे प्रतिस्थापन स्तर के बराबर है। बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश ऐसे राज्य है जो प्रतिस्थापन स्तर से ऊपर है। इस राज्यवर विभिन्नता के पीछे शिक्षा तथा जागरूकता के स्तरों में वृद्धि होना अथवा ना होना है।
प्रजनन दर – बच्चे पैदा कर सकने की आयु (15-49) वर्ष वी स्त्रियों की इकाई के पीछे जीवित जन्में बच्चों की संख्या।
शिशु मृत्यु दर – जीवित पैदा हुए 1000 बच्चों में से एक वर्ष की आयु से पहले मृत बच्चों की संख्य ।
मातृ मृत्यु दर – एक हजार शिशु जन्मों पर जन्म देकर मरने वाली महिलाओं की संख्या।
लिंग अनुपात – प्रति हजार पुरुषों पर निश्चित अवधि के दौरान स्त्रियों की संख्या (किसी विशेष क्षेत्र में)
जनसंख्या की आयु संरचना – कुल जनसंख्या के विभिन्न आयु वर्गों में व्यक्तियों का अनुपात।
पराश्रितता अनुपात – जनसंख्या का वह अनुपात जो जीवन यापन के लिए कार्यशील जनसंख्या पर आश्रित है। इसमें कार्यशील वर्ग 15-64 वर्ष की आयु वाले होते हैं। बच्चे व बुजुर्ग पराश्रित होते हैं।
बढ़ता हुआ पराश्रितता अनुपात – यह उन देशों में चिंता का कारण बन सकता है जहाँ जनता बुढ़ापे की समस्या से जूझ रही होती है क्योंकि वहाँ आश्रितों की संख्या बढ़ जाने से कार्यशील आयु वाले लोगों पर बोझ बढ़ जाता है।
गिरता हुआ पराश्रितता अनुपात – यह आर्थिक संवृद्धि और समृद्धि का स्रोत बन सकता है क्योंकि वहाँ कार्यशील लोगों का अनुपात काम न करने वालों की संख्या में अधिक बड़ा होता है। इसे जनसांख्यिकीय लांभाश कहते हैं।
भारत में जन्म दर तथा मृत्यु दर – जन्मदर एक ऐसी सामाजिक-सांस्कृतिक प्रघटना है जिसमें परिवर्तन अपेक्षाकृत धीमी गति से आता है। हिमाचल प्रदेश, पश्चिमी बंगाल कर्नाटक, महाराष्ट्र की कुल प्रजनन दरें काफी कम है। बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान व उत्तर प्रदेश में प्रजनन दर बहुत ऊँची है।
भारतीय जनसंख्या की आयु संरचना – अधिकांश भारतीय युवावस्था में है। केरल ने विकसित देशों की आयु संरचना की स्थिति प्राप्त कर ली है। उत्तर प्रदेश युवा वर्ग का अनुपात अधिक है तथा वृद्धों का अनुपात कम है।
भारत में ‘जनसांख्यिकीय लाभांश’ – जनसांख्यिकीय संरचना में जनसंख्या संक्रमण की उस अवस्था को जिसमें कमाने वाले यानि 15-49 आयु वर्ग की जनसंख्या न कमाने वाले (पराश्रित वर्ग) यानि 60 + आयु वर्ग की जनसंख्या की तुलना में अधिक हो तो उसे जनसांख्यिकीय लाभांश कहते है यह तभी प्राप्त हो सकता है जब कार्यशील लोगो के अनुपात में वृद्धि होती रहे।
स्त्री-पुरुष अनुपात – भारत में स्त्री पुरुष अनुपात गिरता रहा है। इसका कारण है लिंग विशेष का गर्भपात, बालिका शिशुओं की हत्या, बाल विवाह पौष्टिक भोजन न मिलना। देश की विभिन्न हिस्सों में स्त्री पुरुष अनुपात भिन्न भिन्न है। केरल राज्य से सबसे अधिक है और हरियाणा, पंजाब चंडीगढ़ में में सबसे कम है।
जनघनत्व – जनघनत्व से तात्पर्य प्रति वर्ग कि. मी. में निवास करने वाले मनुष्यों की संख्या से लगाया जाता है। भारत में बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण जनघनत्व भी बढ़ रहा है।
हकदारी की पूर्ति का आभाव – अमर्त्य सेन एवं अनेक विद्वानो ने दर्शाया है कि अकाल अनाज के उत्पादन में गिरावट आने के कारण ही नहीं पड़े अपितु हकदारी की पूर्ति का आभाव या भोजन खरीदने या किसी तरह से प्राप्त करने की लोगों की अक्षमता के कारण भी अकाल पड़ते रहे है। इसलिए सरकार ने भूख और भुखमरी की समस्या के समाधान के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NREGA) नाम का एक कानून बनाया है।
साक्षरता – साक्षरता शक्ति सम्पन्न होने का साधन है। साक्षरता अर्थव्यवस्था में सुधार, स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता व कल्याण कार्यों में सहभागिता बढ़ाती है। केरल साक्षरता में आगे है वहीं बिहार राज्य काफी पीछे है। अनुसूचित जाति व जन-जातियों में साक्षरता दर और भी नीची है।
ग्रामीण नगरीय विभिन्नताएँ – भारत को गाँवों का देश कहा जाता है। नगर ग्रामीणों के लिए आकर्षक स्थान बन रहे हैं। गाँव से लोग रोजगार की दृष्टि से नगरों की ओर पलायन कर रहे हैं। रेडियो, टेलीविजन, समाचार पत्र जैसे जनसंपर्क एवं जनसंचार के साधन अब ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के समक्ष नगरीय जीवन शैली तथा उपभोग के स्वरूपों की तस्वीरें पेश कर रहे हैं। परिणाम स्वरूप दूरदराज के गांवों में रहने वाले लोग नगरीय तड़क-भड़क और सुख-सुविधाओं से सुपरिचित हो जाते हैं उनमें भी वैसा ही उपभोगपूर्ण जीवन जीने की लालसा उत्पन्न हो जाती है।
राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम
• राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम इसलिए शुरु किया गया कि जनसंख्या वृद्धि नियंत्रण किया जा सके। इसमें जन्म नियंत्रण के विभिन्न उपाय अपनाए गए। (पुरुषों के लिए नसबंदी और महिलाओं के लिए नलिकाबंदी ) राष्ट्रीय आपातकाल (1975 – 1976) में परिवार नियोजन कार्यक्रम को गहरा धक्का लगा। नई सरकार ने इसे राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम का नाम दिया। इसमें नए दिशा निर्देश बनाए गए।
• इस कार्यक्रम के उद्देश्य मोटे तौर पर समान रहे हैं- जनसंख्या संवृद्धि की दर और स्वरूप को प्रभावित करके सामाजिक दृष्टि से वांछनीय दिशा की ओर ले जाने का प्रयत्न करना।
• अधिकतर गरीब और शक्तिहीन लोगों का भारी संख्या में जोर-जबरदस्ती से वंध्यकरण किया गया और सरकारी कर्मचारियों पर भारी दबाव डाला गया कि वे लोगों को बंध्यकरण के लिए आयोजित शिविरों में बंध्यकरण के लिए लाएँ। इस कार्यक्रम का जनता में व्यापक रूप से विरोध हुआ।
भारत की 15 वीं जनगणना 2011 के आँकड़े
स्त्री पुरुष अनुपात – 943 : 1000
सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य – उत्तर प्रदेश
न्यूनतम जनसंख्या वाला प्रदेश – सिक्किम
अधिकतम मातृत्व मृत्यु दर वाला राज्य – उत्तर प्रदेश
न्यूनतम मातृत्व मृत्यु दर वाला राज्य – कोरल
सर्वाधिक शिशु मृत्यु दर वाला राज्य – मध्य प्रदेश
न्यूनतम शिशु दर मृत्यु दर वाला राज्य – मणिपुर
साक्षरता – पुरुष-80.9%, महिला-64.6%
सबसे बड़ा (क्षेत्रफल में) – राजस्थान
सबसे छोटा राज्य ( क्षेत्रफल में) – गोवा
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